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मेरे सिर की रक्षा माता श्री बगलामुखी करें।
ह्रदय की एकाक्षरी (ॐ हृलिम ॐ) रक्षा करें।
बैरियों को नष्ट करने वाली, मोक्ष देने वाली तथा हाथ में गदा धारण करने वाली माता श्री त्रिलोक्य स्तम्भिनी रक्षा करे।
शत्रुओ की जीभ को पकड़ने वाली रक्षा करें।
उदर और नाभि की तथा मेरे गुप्त अंगो की रक्षा माता बगलामुखी करें।
विवाद में,कठिन स्थान में,भयंकर स्थित में संकट आ जाने पर,युद्ध के समय,बंधन में,
जल के बीच में,विद्यावाद में,राजपक्ष के कुपित हो जाने पर,
रात्रि के समय,दिव्य अवसर पर,वशीकरण,उच्चा
टन,स्तंभन,विद्यवेषण,निर्जन वन में,चलते उठते बैठते समय तथा गुप्त शत्रु के भय के समय मेरे सर्वांग पीले वस्त्र को धारण करने वाली पीताम्बरा देवी,हस्तिनियो से परिपूर्ण तथा शिव दरबार की श्रेष्ठ माँ श्री विद्या रक्षा करें।
मेरे पुत्र पुत्री तथा स्त्री की रक्षा कालिका तथा भाई पिता माता की रक्षा शूलनी देवी करें।
बगलामुखी कवच का पाठ किसी अनुचित स्थान पर नही करना चाहिए ना ही अयोग्य व्यक्ति को बताना चाहिए।
यह कवच समस्त सिद्धियों को देने वाला है।
इसे पढ़ने और धारण करने से वांछित फल की प्राप्ति होती है।
जो कोई भी श्रृद्धा के साथ इस कवच का पाठ करता है या सुनता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते है।
मेरे सिर की रक्षा माता श्री बगलामुखी करें।
ह्रदय की एकाक्षरी (ॐ हृलिम ॐ) रक्षा करें।
बैरियों को नष्ट करने वाली, मोक्ष देने वाली तथा हाथ में गदा धारण करने वाली माता श्री त्रिलोक्य स्तम्भिनी रक्षा करे।
शत्रुओ की जीभ को पकड़ने वाली रक्षा करें।
उदर और नाभि की तथा मेरे गुप्त अंगो की रक्षा माता बगलामुखी करें।
विवाद में,कठिन स्थान में,भयंकर स्थित में संकट आ जाने पर,युद्ध के समय,बंधन में,
जल के बीच में,विद्यावाद में,राजपक्ष के कुपित हो जाने पर,
रात्रि के समय,दिव्य अवसर पर,वशीकरण,उच्चा
टन,स्तंभन,विद्यवेषण,निर्जन वन में,चलते उठते बैठते समय तथा गुप्त शत्रु के भय के समय मेरे सर्वांग पीले वस्त्र को धारण करने वाली पीताम्बरा देवी,हस्तिनियो से परिपूर्ण तथा शिव दरबार की श्रेष्ठ माँ श्री विद्या रक्षा करें।
मेरे पुत्र पुत्री तथा स्त्री की रक्षा कालिका तथा भाई पिता माता की रक्षा शूलनी देवी करें।
बगलामुखी कवच का पाठ किसी अनुचित स्थान पर नही करना चाहिए ना ही अयोग्य व्यक्ति को बताना चाहिए।
यह कवच समस्त सिद्धियों को देने वाला है।
इसे पढ़ने और धारण करने से वांछित फल की प्राप्ति होती है।
जो कोई भी श्रृद्धा के साथ इस कवच का पाठ करता है या सुनता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते है।
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