(विनायक रुष्ट होने पर कष्ट,,,,,,श्लोक३/४ अध्याय १४४ उत्तर पर्व, भविष्य )
स्वप्न में जल में डूबना , मुंडित सिरों को देखना ,गेरुआ वस्त्र , मस्तक रहित सिर देखना बिना किसी कारण खुद का रोना/दुखी देखना,
यह स्वप्न विनायक द्वारा गृहीत होने पर दिखते हैं,(पहचान है).||
विनायक द्वारा गृहीत होने पर ,
राजपुत्र भी राज्य प्राप्त नहीं कर पाता
कुमारी पति को प्राप्त नहीं कर पाती
गर्भ होने पर भी पुत्र प्राप्त न होना.
व्यापारी व्यापार में लाभ न सफल होगा.
योग्य होने पर भी आजीविका कार्य (नौकरी) न मिलना
इसका उपाय भी भविष्य पुराण में वर्णित है , कि किस प्रकार हम एक अनुष्ठान करें
पहले गणेश जी का विधानानुसार पूजन फिर अभिमन्त्रित जल से यजमान का अभिषेक करें
तत्पश्चात कुशा को दाहिने हाथ में धारण करके सरसों तेल से हवन करें
इसके पश्चात बलि नैवेद्य अर्पण करके मण्ल पर अर्ध्य दें , तत्पश्चात पुन: माता अम्बिका की राजोपचार विधि से पूजन करें , ब्राह्मणों को भोजन करायें ,
गुरु जी को
(क्युकि इस पूजन के बाद गुरु का आशीर्वाद आवश्यक है, यदि गुरु तक किसी कारण वश आप न पहुँच सकें तो फिर महादेव का पूजन कर ) वस्त्र फल दक्षिणा अर्पण करें.
इस पूजन से , सभी बाधाएँ नष्ट होती हैं , मनुष्य लक्ष्मी प्राप्त करता है.
धन्यवाद
(यदि आप कापी पेस्ट करते हैं तो कृपया सूचना देकर करें)
स्वप्न में जल में डूबना , मुंडित सिरों को देखना ,गेरुआ वस्त्र , मस्तक रहित सिर देखना बिना किसी कारण खुद का रोना/दुखी देखना,
यह स्वप्न विनायक द्वारा गृहीत होने पर दिखते हैं,(पहचान है).||
विनायक द्वारा गृहीत होने पर ,
राजपुत्र भी राज्य प्राप्त नहीं कर पाता
कुमारी पति को प्राप्त नहीं कर पाती
गर्भ होने पर भी पुत्र प्राप्त न होना.
व्यापारी व्यापार में लाभ न सफल होगा.
योग्य होने पर भी आजीविका कार्य (नौकरी) न मिलना
इसका उपाय भी भविष्य पुराण में वर्णित है , कि किस प्रकार हम एक अनुष्ठान करें
पहले गणेश जी का विधानानुसार पूजन फिर अभिमन्त्रित जल से यजमान का अभिषेक करें
तत्पश्चात कुशा को दाहिने हाथ में धारण करके सरसों तेल से हवन करें
इसके पश्चात बलि नैवेद्य अर्पण करके मण्ल पर अर्ध्य दें , तत्पश्चात पुन: माता अम्बिका की राजोपचार विधि से पूजन करें , ब्राह्मणों को भोजन करायें ,
गुरु जी को
(क्युकि इस पूजन के बाद गुरु का आशीर्वाद आवश्यक है, यदि गुरु तक किसी कारण वश आप न पहुँच सकें तो फिर महादेव का पूजन कर ) वस्त्र फल दक्षिणा अर्पण करें.
इस पूजन से , सभी बाधाएँ नष्ट होती हैं , मनुष्य लक्ष्मी प्राप्त करता है.
धन्यवाद
(यदि आप कापी पेस्ट करते हैं तो कृपया सूचना देकर करें)