नारद पुराण में अनेक योगों का वर्णन है, आप ज्योतिषी बॆधुओं के लिए हमने यह संकलन किया है,
चद्रयोग कथन (नारदपुराण , पूर्वभाग द्वतीय पाद श्लोक २००-२०२)
यदि चन्द्रमा से द्वतीय भाव में , सूर्य को छोड़कर कोई अन्य ग्रह हो तो "सुनफा" योग. चनद्रमा से १२वें(सूर्य के अतिरिक्त) में हो तो "अनफा" योग.
और दोनों २,१२वें में हों तो "दुरुधरा" योग ,
चन्द्रमा से २,१२ में कोई भी ग्रह न हों तो "केमद्रुम" योग होता है.
सुनफा योग-
जातक स्वयं के पुरुषार्थ से कमाये धन पर जीविका चलाता है व धनवान बनता है.
अनफा योग -
शुशील , स्वस्थ शरीर वाला, विख्यात व सुन्दर स्वरूप वाला होता है.
दुरुधरा-
धनवान, दानी ,भोगी , सुखी,
केमद्रुम -
दुखी, मलिन कांति, निर्धन होता है.
नोट - पूर्ण कुण्डली का विश्लेषण किये बिना किसी निर्णय पर न जायें.