भगवान शंकर जब त्रिपुर से युद्ध कर रहे थे,
और उसको मारना बहुत मुश्किल हो रहा था तब महादेव ने , भगवान विष्णु द्वारा बतलाये हुए ,
"माँ भगवती"
के स्तोत्र का पाठ किया, व माँ की कृपा से त्रिपुरासुर का वध किया.
यह स्तोत्र स्त्री, पुत्र, भूमि सर्व सम्पत्ति दाता शत्रु पर विजय, व महावन्ध्या को भी पुत्रवती, व किसी भी रोग से मुक्ति दिलाता है....
पुराण में श्री कृष्ण द्वारा नंदबाबा को इसका उपदेश दिया गया, इसी उपाख्यान में
श्री महादेव कृत भगवती स्तोत्र , (ब्रह्मवैवर्त ८८/१५-३८)
और उसको मारना बहुत मुश्किल हो रहा था तब महादेव ने , भगवान विष्णु द्वारा बतलाये हुए ,
"माँ भगवती"
के स्तोत्र का पाठ किया, व माँ की कृपा से त्रिपुरासुर का वध किया.
यह स्तोत्र स्त्री, पुत्र, भूमि सर्व सम्पत्ति दाता शत्रु पर विजय, व महावन्ध्या को भी पुत्रवती, व किसी भी रोग से मुक्ति दिलाता है....
पुराण में श्री कृष्ण द्वारा नंदबाबा को इसका उपदेश दिया गया, इसी उपाख्यान में
श्री महादेव कृत भगवती स्तोत्र , (ब्रह्मवैवर्त ८८/१५-३८)
समस्त कष्टों के निवारण इस दिव्य स्तोत्र से हो जाते हैं,
यह स्वयं श्री कृष्ण के वचन हैं.....